Monday, September 11, 2017

manuvaad: manusmriti


मनु जी खुद आपने,
 अपना किया बखान

मिथ्या-सत का रच दिया
परम  अनूठा जाल

जन्मे नहीं थे  आप जब
 तब की स्मृति बताई

उसको ही ज्ञानी कहा
 जो कहे  तुम्हारी  मान !

सृष्टि के निर्माण की
उलझी-सी बात बताई
घोड़ा  पहले के गाड़ी 
कहना पड़  गया -भारी!

वाक्  शक्ति में निपुण ब्राह्मण मुँह से आया
फिर आयी  बाकी तीन की बारी  - कंधे, पेट , पांव से जो उतरे बारी-बारी
ज्यों-ज्यों नीचे आये बढ़ता गया संताप
पर परमात्मा भी दिखता था क्या इंसान सामान
क्या उसके भी पांवों में धूल है और विषाद?

आगे की कहानी और विचित्र गढ़  रखी है लाजवाब -
अजब बेहिसाब
ब्रह्मा टूट के दो में बन गया- एक आदम , एक हुवा
फेर औरत में से विराज और विराज में से प्रकट मनु
आप  ने जाना कैसे अजन्मे ही  यह रहस्य अनजान?

सात ऋषि फिर इनसे थे, उनसे सात मनु  और
तत्पश्चात सब प्राणी भए
अलग-अलग काया धारण किए
पधारे, हुआ आपका हुकुम  जब !

परम ब्रह्मा से आपने पाया ज्ञान असीम
मारिसी को और भृगु को जो पूरा प्राप्त हुआ

खुद से ही पैदा  हुए
परमपुरुष हैं कोई शक नहीं
माता की  चाह इन्हे नहीं
क्या इससे बड़ा प्रमाण?